Monday 23 July 2018

भारतवासियों मुझे बचा लो "मैं भारत की राजनीति हूं"आखिर क्यों रो रही है भारत की राजनीति:-


हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई सबको मित्र बनाना है?
सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान ये गुन गुनाना है?
"मैं भारत की राजनीति हूं" बस आपने मुझे बचाना है।

मैं स्वतंत्र भारत की राजनीति हूं, आज जो मेरे हालात है वह सब आप देख रहे हो लेकिन मैं पहले ऐसी नहीं थी मैं बहुत पवित्र थी बहुत सच्ची और बहुत अच्छी थी मेरी सच्चाई और अच्छाई को श्री कृष्ण, चाणक्य, चंद्रगुप्त, व राजा रंजीत सिंह खालसा जैसे कई राजाओं व राजनितिज्ञो ने भी स्वीकारा और अपनी मंजिलों को प्राप्त कर अपने देश को स्वर्ग बनाया, लेकिन मैं अब वैसी नहीं रही, क्योंकि मेरा जो पवित्रता का स्वरुप था उसे कुछ राजनैतिक पार्टियों एवं कुछ तथाकथित नेताओं की वजह से बदल गया है। इसलिए जब कभी मेरा इस्तेमाल किसी मुद्दे पर होता है तो लोग कहते हैं कि अब इस मुद्दे का कुछ नहीं होगा क्योंकि राजनीति इस मुद्दे में आ गई है यह धारणा आपकी बिल्कुल गलत है। लेकिन हां मुझे इस्तेमाल करने वाले नेता का सच्चा और ज्ञानी होना बहुत जरूरी है।

भारत को तरक्की की और लेकर जाना है?
विश्व के नक्शे पर भारत को "एक" नंबर पर लाना है?
"मैं भारत की राजनीति हूं" बस आपने मुझे बचाना है।

मैं चाहती हूं कि मेरा इस्तेमाल हर मुद्दे पर होना चाहिए। क्योंकि मेरे बिना कोई मुद्दा आज तक हल नहीं हुआ, उदाहरण के लिए आप किसानों के मुद्दे देख लो जब तक मेरा इस्तेमाल नहीं किया गया तो वे मुद्दे सिर्फ मुद्दे ही रहे लेकिन पिछले 3 सालों से किसान मेरा इस्तेमाल कर रहे हैं, और एक नये जज्बे के साथ जीत की और बढ़ रहे हैं। सरकार पर दबाव बनाने में भी कामयाब हुए हैं। जो सत्ता दल के नेता है उनका कहना है कि किसान नेता किसानों पर राजनीति करते हैं। मैं बता दूं हर किसी को मेरा इस्तेमाल करने का पूरा हक है। सिर्फ इतना ध्यान रखो कि मेरे स्वाभिमान को कोई ठेस ना पहुंचे।

भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाना है?
बेरोजगारी को दूर भगाना है?
"मैं भारत की राजनीति हूं" बस आपने मुझे बचाना है।

मैं भारतवासीयो से अपील करना चाहती हूं, कि आप ऐसे नेता को ना चुने जो मेरे आंगन में बैठकर अपने देश को नर्क की ओर ले जा रहे है, मैं आज इतनी लाचार हो चुकी हूं, कि अपना दर्द बताने के सिवाय और कुछ भी नहीं कर सकती मेरी इस लाचारी के पिछे देश का हर नागरिक जिम्मेदार है। कोई भी नागरिक मतदान करने से पहले यह कभी सोचता है? कि जिसे मैं वोट देने जा रहा हूं वह मेरे लिए मेरे समाज व मेरे देश के लिए कितना काबिल है? मुझे हैरानी होती है जो नेता पिछले कई समय से लोगों द्वारा चुनकर आ रहे हैं, उन्हें ना तो मेरी कोई समझ है, और ना ही उनमें यह सोचने की क्षमता है कि क्या समाज और देश के हित में सही है क्या गलत । फिर आप मुझ पर लांछन लगाते हो कि हमारी राजनीति ही ऐसी है, इसमें मेरा कोई कसूर नहीं है यह कसूर आपका है क्योंकि जब आप मतदान करते हो तो मूल्यांकन नहीं करते सिर्फ यह सोचकर वोट दे देते हैं कि यह नेता जीतेगा लेकिन असल में जीतना उसे ही है जिसे आप वोट देते हैं अक्सर ऐसा भी होता है, कि किसी नेता ने या किसी रसुखदार ने आपकी कोई मदद की थी तो वोट उसी को देंगे, बस यही बात है छोटे से एहसान के लिए अपना कीमती वोट बेच देते हो फिर जब सरकार आपके लिए अच्छी योजना नहीं लेकर आती या योजना का पैसा पूरा नहीं आता, अधिकारी आपकी बात नहीं सुनते या रिश्वत मांगते हैं, अस्पतालो में इलाज नहीं होता, बच्चों को स्कूलों में सुविधाएं नहीं मिलती, पुलिस वाले बगैर सिफारिश या रिश्वत के आप की बात नहीं सुनते फिर आप मुझे कोसते हैं और कहते हैं कि नेताओं का कोई दोष नहीं सिस्टम का कोई दोष नहीं हमारी राजनीति ही ऐसी है।‌

नींद से खुद जागना और लोगों को जगाना है?
आज तक जो खोया था उसे फिर से पाना है?
"कुलजीत" मरकर स्वर्ग नहीं मिलता, धरती को स्वर्ग बनाना है?
"मैं भारत की राजनीति हूं"बस आपने मुझे बचाना है।

मुझे इस बात की खुशी है कि मैं स्वतंत्र भारत की राजनीति हूं पर एक बात का दुख भी है कि मेरे स्वतंत्र भारत के लोकतंत्र का हर नागरिक आज भी गुलाम है। और गुलामी की जंजीरों में बधें होने के कारण अपना कीमती मतदान उस नेता को दे देता है जिसकी वो गुलामी करता है। इन्हें देश व समाज की अच्छे बुरे से कोई मतलब नहीं है जरा अपने आप से पूछो तो सही कि मैं किसका गुलाम हूं। तो आपको भी ताज्जुब होगा। मैं किसी को ठेस पहुंचाना नहीं चाहती, मैं तो आपके जमीर को जगाना चाहती हूं, कि इस बार आप गुलामी की जंजीरों को तोड़कर मतदान करो।

ना कि अपने धर्म के नेता को वोट दो, वोट उसे दो जो सच्चा और ईमानदार हो ।
ना ही अपनी जाति के नेता को वोट दो, वोट उसे दो जो जात पात को ना मानता हो ।
ना ही वोट उसे दो जो नफरत फैलाता हो, वोट उसे दो जो प्यार बढ़ाता हो ।
ना ही वोट उसे दो जो सपने दिखाता हो, वोट उसे दो जो स्टांप लिख के लाता हो ।
ना ही वोट उसे दो जो पैसे और एहसान जताता हो, अबकी बार वोट उसको दो जिसे आपका दिल चाहता हो ।

जिस दिन आपने ऐसा मतदान किया, मुझे विश्वास है कि उस दिन मैं और आप गर्व से कहेंगे...................सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा हमारा ...........................

जय हिंद,
जय भारत,
                          लेखक:-  कुलजीत सिंह धालीवाल
                          वट्सऐप:- +916350573663

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