ये कैसा मातम छा गया मेरे शहर में
कितनी और बहेंगी लाशे इस लहर में
शैतान को भगवन् मानके पूज रहा था
चलो भ्रम भक्त का टूटा करोना कहर में
कितने डूब के मर गए देखले "सुंदरपुरीया"
यहां नफ़रत की चलती हुई इस नहर में
✍️पागल सुंदरपुरीया
चारों तरफ है भगवान, सभी प्राणी एक समान, पागल ये छोटी सी पृथ्वी. इससे बड़े हैं कई जहान।
कल सुबह से पता चलेगा कि कौन किसके साथ है? इसे तीन हिस्सों में बांट कर देखूंगा.. राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक..: इसके अलावा कूटनीतिक... मैं सभी ...