किसान ..... जिसे हम अन्न दाता कहते है । आज इस हालात में है कि जीवित होते हुऐ भी हर पल मर रहा है । इसका सबसे बडा कारण है । ' कर्ज '
हम॓ सबस॓ पहले यह जानना चाहिऐ कि किसान कर्ज के नीचे दिन प्रतिदिन क्यूं दबता जा रहा है । एक दिन ऐसा आता है किसान अपने खेत में कीटनाशक पीकर जांन दे देता है । और अपने परिवार को अनाथ करके चला जाता है । सोचने पर मजबूर करने वाली बात यह है कि देश में सबसे ज्यादा आत्महत्या किसान ही क्यूं करता है । इसके मूल तीन कारण है :-
1. फसलो का न्यूनतम सर्मथन मूल्य ना मिलना,
किसान अपने खेत में बोई हुई फसल का अपने बच्चो की तरह रख रखाव करता है । और जब किसान उस फसल को बेचने के लिए बाजार जाता है तो उसका सही भाव नही मिलता । क्योंकि फसल को बुवाई से पकाव के बाद बाजार तक ले जाने में बहुत खर्च होता है। जिससे किसान को बचत ना मात्र होती है। इसलिए किसानो ने न्यूनतम सर्मथन मूल्य के मुद्धे को लेकर पुरे भारत में 1 जून 2018 से गावं बदं आन्दोलन चलाया था और इससे पहले भी कई बार आन्दोलन हुऐ है। जोकि किसान नेताओ की घटिया राजनिती की वजह से विफल हो गये । किसानो के इस विषय के बारे में सरकार को सवेदनशील होकर कार्य करना चाहिए।
2. - किसानो को कर्ज देने वाले बैंको की गलत निति
बैंक का किसान को कर्ज देने का उदेशय यह था कि किसान को अपनी फसल तैयार करने यानि डीजल, खाद, बीज, व कटाई तक खर्च किसी शाहूकार से मगहीं ब्याज दर पर ना लेना पडे । लेकिन हो इसका उल्टा रहा है । बैंक अपना बिजीनस बढाने व अपने विरोधियो को पछाडने की होड में किसान को जरुरत से ज्यादा कर्ज दे देते है जोकि किसान बहुत बडा घर या अपने बच्चो की शादियो पर अपनी वाह-वाहि पाने के लिए खर्च कर देता है और कर्ज की रकम बडी होने से महगीं ब्याज दरें लगती है। यह जानकर आशचर्य होता है कि किसान के पास जितने बीघा जमीन उतने ही लाख रूपये बैंक कर्ज देता है यानि 8 बीघा जमीन पर 8 लाख जिससे किसान की 6 माह की कमाई से घर खर्च निकाल कर बैंक द्वारा दिए कर्ज का ब्याज भरना भी मुशकिल हो जाता है। बैंक को कर्ज लोटाना तो बहुत दूर की बात है।
3.- खेती में काम आने वाले साधन (टै्क्टर , कम्बाईन, व अन्य औजार) को बेचने वाली कम्पनी व प्राईवेट फायन्सर की धोखाधडी
टै्क्टर की आड में किसान के साथ होने वाली सबसे बडी लूट है। 5 -10 बीघा जमीन वाले को 6 लाख का टै्क्टर लेना जायज नही लगता । ना ही वह किसान नया टै्क्टर लेने का इच्छुक होता है। टै्क्टर कम्पनी अपना बिजीनस बढाने के लिए छोटे किसान को निशाना बनाती है। और उससे कम मारजिन लेकर फायन्स करवा देते है जिसका कम से कम ब्याज 16% होता है। कम्पनी वाले किसान से खाली चैक एवं स्टाम्प ले लेते है, 2-3 किशते तो मुशिकल से भर देता है परन्तु जब किसान की किशत नही भर पाता तो फायन्सर उसका टै्क्टर उठा ले जाता है। फिर किसान मानसिक रुप से परेशान रहने लगता है। और जब वह अन्दर से टूट जाता है, फिर वह किसान आत्महत्या कर लेता है। ये होता भी रहेगा जब तक भारत सरकार किसानो के लिए अच्छी नितिया नही लेकर आती,।
हम॓ सबस॓ पहले यह जानना चाहिऐ कि किसान कर्ज के नीचे दिन प्रतिदिन क्यूं दबता जा रहा है । एक दिन ऐसा आता है किसान अपने खेत में कीटनाशक पीकर जांन दे देता है । और अपने परिवार को अनाथ करके चला जाता है । सोचने पर मजबूर करने वाली बात यह है कि देश में सबसे ज्यादा आत्महत्या किसान ही क्यूं करता है । इसके मूल तीन कारण है :-
1. फसलो का न्यूनतम सर्मथन मूल्य ना मिलना,
किसान अपने खेत में बोई हुई फसल का अपने बच्चो की तरह रख रखाव करता है । और जब किसान उस फसल को बेचने के लिए बाजार जाता है तो उसका सही भाव नही मिलता । क्योंकि फसल को बुवाई से पकाव के बाद बाजार तक ले जाने में बहुत खर्च होता है। जिससे किसान को बचत ना मात्र होती है। इसलिए किसानो ने न्यूनतम सर्मथन मूल्य के मुद्धे को लेकर पुरे भारत में 1 जून 2018 से गावं बदं आन्दोलन चलाया था और इससे पहले भी कई बार आन्दोलन हुऐ है। जोकि किसान नेताओ की घटिया राजनिती की वजह से विफल हो गये । किसानो के इस विषय के बारे में सरकार को सवेदनशील होकर कार्य करना चाहिए।
2. - किसानो को कर्ज देने वाले बैंको की गलत निति
बैंक का किसान को कर्ज देने का उदेशय यह था कि किसान को अपनी फसल तैयार करने यानि डीजल, खाद, बीज, व कटाई तक खर्च किसी शाहूकार से मगहीं ब्याज दर पर ना लेना पडे । लेकिन हो इसका उल्टा रहा है । बैंक अपना बिजीनस बढाने व अपने विरोधियो को पछाडने की होड में किसान को जरुरत से ज्यादा कर्ज दे देते है जोकि किसान बहुत बडा घर या अपने बच्चो की शादियो पर अपनी वाह-वाहि पाने के लिए खर्च कर देता है और कर्ज की रकम बडी होने से महगीं ब्याज दरें लगती है। यह जानकर आशचर्य होता है कि किसान के पास जितने बीघा जमीन उतने ही लाख रूपये बैंक कर्ज देता है यानि 8 बीघा जमीन पर 8 लाख जिससे किसान की 6 माह की कमाई से घर खर्च निकाल कर बैंक द्वारा दिए कर्ज का ब्याज भरना भी मुशकिल हो जाता है। बैंक को कर्ज लोटाना तो बहुत दूर की बात है।
3.- खेती में काम आने वाले साधन (टै्क्टर , कम्बाईन, व अन्य औजार) को बेचने वाली कम्पनी व प्राईवेट फायन्सर की धोखाधडी
टै्क्टर की आड में किसान के साथ होने वाली सबसे बडी लूट है। 5 -10 बीघा जमीन वाले को 6 लाख का टै्क्टर लेना जायज नही लगता । ना ही वह किसान नया टै्क्टर लेने का इच्छुक होता है। टै्क्टर कम्पनी अपना बिजीनस बढाने के लिए छोटे किसान को निशाना बनाती है। और उससे कम मारजिन लेकर फायन्स करवा देते है जिसका कम से कम ब्याज 16% होता है। कम्पनी वाले किसान से खाली चैक एवं स्टाम्प ले लेते है, 2-3 किशते तो मुशिकल से भर देता है परन्तु जब किसान की किशत नही भर पाता तो फायन्सर उसका टै्क्टर उठा ले जाता है। फिर किसान मानसिक रुप से परेशान रहने लगता है। और जब वह अन्दर से टूट जाता है, फिर वह किसान आत्महत्या कर लेता है। ये होता भी रहेगा जब तक भारत सरकार किसानो के लिए अच्छी नितिया नही लेकर आती,।
किसान बचाओ,
जवान बचाओ,
भारत का स्वाभिमान बचाओ ।
जवान बचाओ,
भारत का स्वाभिमान बचाओ ।
लेखक :- कुलजीत सिहं धालीवाल
वट्स ऐप :- +916350573663
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