Wednesday 6 May 2020

ईश्वर की प्राप्ति

                                                          
 
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के मालिक ੴ का शुक्रिया करते हुए अपने गुरु ज्ञान से आशीर्वाद लेकर अपने विचारों को प्रकट करने जा रहा हूं। मेरे विचारों पर श्री गुरु नानक देव जी की जीवनी व श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में विराजमान पैंतीस महा विद्वानों, मंसूर अल हल्लाज, रजनीश ओशो, जियोर्डानो ब्रुनो का बहुत प्रभाव है। मैं एक पागल हूं।  इन विद्वानों के समक्ष मेरी हस्ती ऐसी है जैसे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के मालिक की नज़र में ज़मीन पर रेंगते छोटे कीड़े की है।

संसार के सभी लोग भगवान से मिलना चाहते हैं। चाहे वो हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई या किसी अन्य धर्म के लोग हों। मैं आस्तिक के अलावा नास्तिक (भगवान के वजूद को ना मानने वाले) सभी को अपने सिद्धांत द्वारा भगवान से मिलाने की कोशिश करूंगा। 

तुझे ढूंढता रहा दुनियां के मस्जिद मन्दिर में,
एक दिन मिला   तूं मुझको मेरे ही अन्दर में,
पता नहीं क्यूं नफ़रत करता है बंदा ही बंदों से.
ख़ुदा तो फर्क नहीं रखता आदमी और बंदर में।

1. हम किसे भगवान समझते है??
2. धर्म क्या है ??
3. भगवान कैसा है??
4. भगवान की नज़र में हम क्या है??
5. भगवान की प्राप्ति कैसे करें??
6. भगवान से क्या मांगे??
7. क्या भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए??



👉 हम किसे भगवान समझते है??

हम जब भगवान का नाम सुनते, बोलते या पढ़ते या मूर्तियां देखकर हमारे दिमाग में एक ईश्वर की तस्वीर बन जाती है जिस धर्म से आपका रिश्ता होता है जैसे हिन्दू में शिव , गणेश, विष्णु या श्रीकृष्ण आदि अगर सिक्ख हो तो गुरु गोबिंद सिंह या श्री गुरु नानक देव जी की तस्वीर अपने आप आंखों के सामने आ जाती हैं ऐसा ही दूसरे धर्मों से संबंध रखने वाले लोगों के साथ होता है। ऐसा क्यूं होता है? क्यूंकि जन्म के बाद से ही माता-पिता द्वारा हमारे दिमाग में एक तथाकथित ईश्वर फिट कर दिया जाता है हम उस भगवान को पूजते पूजते बड़े हो जाते है उसी दौरान हम उस तथाकथित भगवान से घुटने टेककर छोटी छोटी चीजों को हाथ फैलाकर मांगते भी हैं जैसे ही समय के साथ हमारी बुद्धि विकसित होकर सच और झूठ को पहचानने के काबिल होती है हमारे अन्दर ज्ञान के प्रकाश का एहसास होने लगता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है क्यूंकि उस तथाकथित भगवान की हुई अंधभक्ति हमारे दिमाग पर पूरी तरह से हावी हो चुकी होती है जिसका अंधकार हमें प्रकाश की ओर जाने की कोशिश भी करने नहीं देता और हम अपने आप से सवाल करते हैं कि भगवान कौन है? खुद से ही जवाब मिल जाता है कि मेरा भगवान वहीं  है जिसकी मैं रोज पूजा करता हूं। इसी धोखे में हम अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं।


👉धर्म क्या है??

हमें कुछ पुजारियों द्वारा वर्षों से धर्म का अर्थ- भगवान की आराधना व पूजा पाठ बताया गया है परन्तु वास्तव में धर्म का अर्थ है-आत्मा को आत्मा के रूप में उपलब्ध करना, न कि जड़ पदार्थ के रूप में। गुरु महावीर ने कहा है कि धर्म शुद्ध आत्मा में ठहरता है और शुद्ध आत्मा का दूसरा नाम है अपने स्वभाव में रमण करना और स्वयं के द्वारा स्वयं को देखना। लेकिन हम गर्व से कहते है मेरा सनातन धर्म, इस्लाम धर्म, या कोई अन्य, है पर पूरी जिन्दगी में कभी धर्म निभाया ही नहीं बल्कि अपनी दिनचर्या में कई बार झूठ बोलकर, धोखा देकर गरीब लोगों का शोषण  कर अधर्मी जरूर बने है  धर्म का प्रचार करने वाला पुजारी तथाकथित भगवान का व्यापार कर लोगों को लूटता है वो भी धर्मी नहीं है। सिक्ख धर्म के पुजारी भी आज यहीं कर रहे है जोकि श्री गुरु नानक देव जी के सिद्धांतो के अनुरूप नहीं है क्यूंकि गुरुजी ने ੴ को उच्चारण कर लोगों को सिक्ख (सीखने वाला) बनकर ब्रह्माण्ड के मालिक ੴ से सीखकर जीवन व्यतीत करने को कहा, और सिक्खों को किरत करो, वंड शको, नाम जपो, का सिद्धांत दिया जो श्री गुरु नानक देव जी ने सिद्धांत दिया हैं। वह धर्म है।, उन्होंने अपनी गुरबाणी के जरिए उस वक्त पुजारियों, साधुओं व पाखंडवाद पर तथ्यों के आधार पर तर्क भी किया श्री गुरु ग्रंथ साहिब में दर्ज  संपूर्ण गुरबाणी समय-समय के पैंतीस क्रांतिकारी विद्वानों द्वारा लिखी गई हैं। जो कि पाखंडवाद को दूर कर ब्रह्मांड के मालिक ੴ को भगवान एवं असली धर्म का मार्ग बताती हैं ।


👉भगवान कैसा है??

भगवान पूरे ब्रह्मांड का मालिक है "ੴ" इसका मतलब है एक है जो चारों तरफ एक रस फैला हुआ है, भगवान का कोई रूप नहीं है कोई आकार नहीं है, हां भगवान का रूप ब्रह्मांड के अनेक प्रकार के गुण हैं जिन्हें एक नियम बांधे रखता हैं यही ईश्वर है।  किसी भी चीज के कुछ गुण होते है जो एक नियम में रहते  हैं जैसे कि इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन  और प्रोटॉन तीन गुण नियम में आते ही एक परमाणु बनता है वैसे तो इस ब्रह्मांड में अनंत गुण है  उनमें से मेरी समझ में ब्रह्मांड के तीन गुण है, गति, अवरोधक, संतुलन जिनके आधार पर पूरा ब्रह्मांड जिसमें अनंत सूर्या अनंत ग्रह (जो पृथ्वी से कई गुना बड़े हैं) अपनी क्रिया करते हैं, अगर सरल भाषा में  उदाहरण के तौर पर एक मोटर साइकिल है जिसमें गियर से वह चलता है (गति), ब्रेक से वह रुकता है, (अवरोदक), संतुलन बनाने पर सीधी चलती है (संतुलन) यह तीन गुण अगर एक नियम में है (नियम मतलब चलाने वाला चालक) तो अपनी क्रिया करेगी अन्यथा मिट जाएगी। इसलिए भगवान का रूप अनेक गुणों को समाए हुए एक नियम है। जिसकी हमें पूजा नहीं करनी बल्कि उसे समझना है ताकि हम उसके अनुरूप अपनी जीवनशैली को और बेहतर कर सकें।


👉भगवान की नज़र में हम क्या है?

ੴ पूरे ब्रह्मांड का मालिक है हम जिस पृथ्वी पर रहते हैं जिसे हम बहुत बड़ी दुनिया समझते हैं जिसमें एक सूर्या है परंतु भगवान के ब्रह्मांड में अनंत सूर्या हैं और हमारी पृथ्वी से कई गुना बड़े अनंत ग्रह है। जिस पर लोग अपना जीवन व्यतीत करते हैं। हो सकता है उनमें से कुछ ग्रहों के लोग हमसे पीछे हों, शायद ज्यादातर ग्रह हमसे कई हजार साल आगे का जीवन व्यतीत कर रहे है, कई ग्रहों के लोग हम इंसानों से अति सुंदर हो सकते हैं  हर ग्रह की अपनी अपनी जीवनशैली है क्योंकि वहां के गुण हमारी पृथ्वी के गुणों से अलग है परंतु भगवान की नजर में पुरा ब्रह्मांड एक समान है( चाहे वह किसी भी ग्रह का कोई जीव हो या पृथ्वी पर रहने वाला कोई जीव या मनुष्य)



👉भगवान की प्राप्ति कैसे करें??

आपने यह तो समझ लिया कि भगवान का कोई रूप नहीं है ना ही उसका आकार है, और यह भी समझ लिया कि अनंत गुणों को बांध कर रखने वाला नियम है । यहीं नियम भगवान है।  अब बात आती है इससे मिले कैसे? जैसे पुरा ब्रह्मांड मैं अनंत गुण एक नियम (भगवान) में बंधे हुए हैं ठीक वैसे ही हमारे शरीर में पांच गुण एक नियम में है। हम उस नियम (भगवान) का हिस्सा है। तो अपने आप से मिलो क्यूंकि श्री गुरु नानक देव जी ੴ व श्री गुरु ग्रंथ साहिब में लिखा है "घट घट हरजू बसे" और मंसूर अल हल्लाज ने कहा था "अनल हक" (मैं सच हूं) हम सब प्राणी भगवान का हिस्सा है। इसलिए हमें भगवान को पूजना नहीं बल्कि समझना है। हमें भगवान को समझने के लिए अपने आपको समझना है कि मेरे विचारों में क्या चल रहा है? क्या सही है? क्या गलत है? क्या कर रहा हूं? क्या करना चाहिए? जिस दिन आपने खुद को समझा तो आपको भगवान की प्राप्ति हो गई ।


👉भगवान से क्या मांगे??

भगवान से मांगने कि जरूरत नहीं है क्यूंकि वह आपको हर वक्त ऊर्जा, जल, वायु (आक्सीजन) अन्य बहुत कुछ दे रहा है जो आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण है उसके बिना आप मिट्टी हो। भगवान हमें हर समय दे रहा है दिन हो या रात,हम सो रहे होते हैं फिर भी वो दे रहा होता है इसलिए भगवान से मांगने की जरूरत नहीं है वह बिना मांगे दे रहा है बल्कि देने की जरूरत है जो हम उसे यानि कुदरत को नहीं दे रहे है।


👉क्या भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए??

दुख - सुख, ख़ुशी - गमी, वैसे ही है जैसे दिन - रात चलते है दुःख या गमी में उदास नहीं होना चाहिए यह रात की तरह होती है अगली सुबह उजाले कि किरण सुखी और खुशी लेकर आपके पास आ जाएगी। हां भगवान से प्रार्थना करनी चाहिए परन्तु प्रार्थना में कुछ मांगने की बजाए ( क्योंकि वह बिना मांगे बहुत कुछ तुम्हें दे रहा है) भगवान का धन्यवाद करना चाहिए कि हे ईश्वर (ब्रह्मांड के मालिक) तेरा बारम्बार शुक्रिया करता हूं कि मुझे अपनी कृपा करके मुझ मिट्टी को गुणों द्वारा जीवन देकर अपना हिस्सा बनाया। और किसी कार्य के लिए भगवान से प्रार्थना करें तो अपने आप को यह कहें कि तुम भगवान का हिस्सा हो इसलिए यह कार्य तुम्हे ही करना है।

चारों तरफ है भगवान,
सभी प्राणी एक समान,
पागल ये छोटी सी पृथ्वी.
इससे बड़े हैं कई जहान।
✍️पागल सुन्दरपुरीया(कुलजीत सिहं)
7023957006



5 मई को पुलिस के संबंध में

कल सुबह से पता चलेगा कि कौन किसके साथ है? इसे तीन हिस्सों में बांट कर देखूंगा.. राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक..: इसके अलावा कूटनीतिक... मैं सभी ...