Wednesday, 26 May 2021

ਗੰਗਾਨਗਰ ਬੋਲਦਾ ਹਾਂ

 ਮੈਂ ਗੰਗਾਨਗਰ ਬੋਲਦਾ ਹਾਂ, ਮੇਰੀ ਸੁਣਲੋ ਦਰਦ ਕਹਾਣੀ,

ਮੈਂ ਰਾਜਾ ਸੀ ਜੀਹਦੇ ਕਰਕੇ, ਮੇਰੀ ਰੁੱਸ ਗਈ ਰੌਣਕ ਰਾਣੀ,

ਮੈਂ ਗੰਗਾਨਗਰ ਬੋਲਦਾ ਹਾਂ...


ਮੁੱਦਤਾਂ ਹੋਗੀਆਂ ਮਾਰਿਆ ਨਹੀਂ ਤੁਸੀਂ ਗੋਲ ਬਾਜ਼ਾਰ ਚ ਗੇੜਾ,

ਬਿਨ ਥੋਡੇ ਜਵਾਂ ਸੁੰਨਾ ਹੋਇਆ ਹਾਏ ਦਿੱਲ ਮੇਰੇ ਦਾ ਵੇਹੜਾ,

ਮੇਰੇ ਕੋਲੇ ਆਕੇ ਦੱਸਦੋ, ਕਦੋਂ ਆਗਰਾ ਟਿੱਕੀ ਖਾਣੀ..

ਮੈਂ ਰਾਜਾ ਸੀ ਜੀਹਦੇ ਕਰਕੇ, ਮੇਰੀ ਰੂਸ ਗਈ ਰੌਣਕ ਰਾਣੀ,

ਮੈਂ ਗੰਗਾਨਗਰ ਬੋਲਦਾ ਹਾਂ...


ਦੁਰਗਾ ਮੰਦਰ ਰੋਡ ਵੀ ਹੁਣ ਖਾਲੀ ਖਾਲੀ ਰਹਿੰਦੀ,

ਨਾ ਕੇ ਏਫ਼ ਸੀ ਤੇ ਆਕੇ ਕੋਈ ਸੋਹਣੀ ਜੋੜੀ ਬਹਿੰਦੀ,

ਕੱਦ ਪਹਿਲਾਂ ਵਾਂਗੂੰ ਹੱਸਣਗੇ, ਵੇਖਕੇ ਇੱਕ ਦੁੱਜੇ ਨੂੰ ਹਾਣੀ..

ਮੈਂ ਰਾਜਾ ਸੀ ਜੀਹਦੇ ਕਰਕੇ, ਮੇਰੀ ਰੂਸ ਗਈ ਰੌਣਕ ਰਾਣੀ,

ਮੈਂ ਗੰਗਾਨਗਰ ਬੋਲਦਾ ਹਾਂ...


ਸੈਂਟਰ ਕਾਲੇਜ ਬੰਦ ਹੋ ਗਏ ਬੰਦ ਹੋਈਆਂ ਸੱਭੇ ਪੜਾਈਆਂ,

ਨਾ ਕੋਈ ਹੀਰ ਤੇ ਰਾਂਝਾ ਬਣਦਾ ਤੇ ਨਾ ਕੋਈ ਕਰੇ ਲੜਾਈਆਂ,

ਐਚ ਬਲੋਕ ਤੇ ਕਦ ਬੈਠੁਗੀ, ਰਲ ਮੁੰਡਿਆ ਦੀ ਢਾਣੀ..

ਮੈਂ ਰਾਜਾ ਸੀ ਜੀਹਦੇ ਕਰਕੇ, ਮੇਰੀ ਰੂਸ ਗਈ ਰੌਣਕ ਰਾਣੀ,

ਮੈਂ ਗੰਗਾਨਗਰ ਬੋਲਦਾ ਹਾਂ...


ਸੁੰਦਰਪੁਰੀਆ ਕਰਕੇ ਹੀਲਾ ਮੋੜ ਲਿਆ ਵੇ ਰੌਣਕ ਰਾਣੀ ਨੂੰ,

ਓਹਦੇ ਬਿਨ ਮੈਂ ਇੰਜ ਤਰਸਾਂ ਜਿਵੇਂ ਜੱਟ ਤਰਸੇ ਨੇ ਪਾਣੀ ਨੂੰ,

ਰੱਬ ਨੂੰ ਬਿਨਤੀ ਕਰਕੇ, ਸੁੱਲਜਾ ਦੇ ਮੇਰੀ ਤਾਣੀ...

ਮੈਂ ਰਾਜਾ ਸੀ ਜੀਹਦੇ ਕਰਕੇ, ਮੇਰੀ ਰੂਸ ਗਈ ਰੌਣਕ ਰਾਣੀ,

ਮੈਂ ਗੰਗਾਨਗਰ ਬੋਲਦਾ ਹਾਂ...

✍️ਪਾਗਲ ਸੁੰਦਰਪੁਰੀਆ

Sunday, 9 May 2021

मातृ दिवस

आज के दिन को हम मातृ दिवस के रूप में मनाते है ताकि हमें जन्म देने वाली माता को सम्मान दे सकें, हर कोई अपनी माता से प्यार करता है हमारी संस्कृति ही ऐसी की हम सुबह उठते या काम पर जाते अपने माता पिता के पैर छूते हैं तो हमारे लिए तो रोज मातृ दिवस होता है। मातृ दिवस को क्यूं मनाया जाता है।(अंत तक पड़ना क्यूंकि अंत में मैं अपना तर्क भी बताऊंगा) एक विचारधारा दावा करती रही है कि मातृ पूजा का रिवाज़ पुराने ग्रीस से उत्पन्न हुआ है जो स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, उनके सम्मान में ही मातृ दिवस मनाया जाता है। जबकि मदर्स डे पहली बार अमेरिका में मनाया गया था, 1908 में मनाया गया जब एना जार्विस नाम की एक महिला ने अपनी माँ एन रीज़ जार्विस को सम्मानित करने के लिए एक मान्यता प्राप्त अवकाश के रूप में मदर्स डे मनाने की कामना की, जो एक शांति कार्यकर्ता थी और तीन साल पहले उनका निधन हो गया था। एना ने वेस्ट वर्जीनिया में सेंट एंड्रयूज मेथोडिस्ट चर्च में अपनी मां के लिए एक स्मारक बनाया था जो अब अंतर्राष्ट्रीय मातृ दिवस तीर्थ है। भारत में मदर्स डे मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है, यह दुनिया भर के अलग-अलग देशों में अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है। ब्रिटेन में मदर चर्च को क्रिश्चियन मदरिंग संडे को सम्मान के लिए मार्च के चौथे रविवार को मनाया जाता है। ग्रीक लोग के लोग इसे फरवरी में मनाते हैं। आज तक इस दिन को विश्व में कभी भी एक समान दिन में नहीं मनाया गया। मेरा मानना है कि यहां तक सनातन संस्कृति में वर्षों पहले से माता पिता का सम्मान किया जाता रहा है व इस्लामिक सिद्धांतों के अनुसार भी माँ के पैरों में जन्नत यानी माता पिता का सम्मान वर्षों से किया जा रहा है इसलिए हम आज भी माता पिता के रोज पैर छूते हैं आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, लेकिन जो पश्चिमी सभ्यता हमारी दोनों बड़ी संस्कृतियों से विपरीत रही थी (हमारी बदकिस्मत है कि आज हम पश्चिम सभ्यता को अपनाने लगे हैं) जैसे कि भूतकाल में हमारी दोनों संस्कृतियों में अगर हमारे पूर्वज पुरुष कितनी भी शादियां कर लेते थे उनकी पत्नियां अपने पति/शौहर को छोड़कर कहीं नहीं जाती थी उनके बच्चे उनके पास रहते थे इसलिए वो अपनी मां के रोज पैर छूकर सम्मान देते थे। दूसरी और पश्चिम साभ्यता के पूर्वज पुरुष कोई शादी कर लेते थे तो उनकी पत्नियां उन्हें छोड़कर दूसरे पुरुष के साथ रहने लगती थी अगर पत्नी किसी गैर मर्द से संबंध बनाती तो उसका पति भी ऐसा करता था, इस सभ्यता के बच्चों को ये नहीं पता होता था कि उनके वास्तविक माता पिता कौन है। इसलिए पश्चिम सभ्यता के बच्चों को एक खास दिन कि जरूरत थी कि वो अपनी मां या पिता को सम्मान दे सकें। इसलिए आपसे कहता हूं कि आप अपने माता पिता को एक दिन में समेटकर ना रखो। जिन्होंने आपको जन्म दिया है उनका हर दिन पैर छूकर धन्यवाद करते रहो।

✍️पागल सुंदरपुरीया

9649617982

ਲੋਕ ਸ਼ਾਇਰੀ

 ਜਿੰਨਾ ਵੀ ਚਲਾਕ ਹੋਵੇ ਬੰਦਾ ਭਾਵੇਂ ਮਰਜੀ

ਜਨਾਨੀ ਨੂੰ ਹਰੋਨਾ ਸੱਚੀ ਬੜਾ ਔਖਾ ਏ,

ਤਕੜੇ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਤਾਂ ਦੰਦਾ ਥੱਲੇ ਜੀਬ ਆਜੇ

ਮਾਰ ਦੇਣਾ ਮਾੜੇ ਦੇ ਘਸੁਨ ਬੜਾ ਸੌਖਾ ਏ,

ਸੋਹਣਾ ਮਿੱਠਾ ਬੁੱਗਾ ਲੱਖ ਵਾਰੀ ਕਹਿ ਯਾਰਾ

ਏਹੇ ਇਸ਼ਕ ਮੁਹਬੱਤਾਂ ਚ ਮਿੱਲਦਾ ਹੀ ਧੋਖਾ ਏ,

ਮਾਰ ਮਾਰ ਠੱਗੀਆਂ ਕਮਾਇਆ ਜਿਹੜਾ ਧੰਨ

ਤੇਰਾ ਸੱਭ ਐਥੇ ਰਹਜੁ ਏਹੇ ਰੱਬ ਵੱਲੋਂ ਹੋਕਾ ਏ,

ਸੁੰਦਰਪੁਰੇ ਆਲਾ ਤੈਨੂੰ ਦਿੰਦਾ ਏ ਨਸੀਹਤਾਂ

ਸੁਧਰ ਜਾ ਓਏ ਹਾਕਮਾਂ ਹਜੇ ਬੜਾ ਮੌਕਾ ਏ,

ਪੜ੍ਹ ਸੁਣ ਕਿਸੇ ਨੇ ਕਮਾਲ ਘੈਂਟ ਕਿਹਾ ਨਾ ਜੇ

ਗੱਲਾਂ ਤੇਰੀਆਂ ਪਾਗਲਾ ਸੁਆਦ ਹੋਣਾ ਫੋਕਾ ਏ, 

✍️ਪਾਗਲ ਸੁੰਦਰਪੁਰੀਆ 

9649617982






Saturday, 8 May 2021

आलसी योद्धा

चिड़ियां चुग गई खेत..! का नया वर्जन


एक बार एक राजा था (अशोक गहलोत जैसा) उसके राज्य में एक दुश्मन आ गया जो प्रजा की जान ले रहा था। राजा बहुत चिंतित हुआ उसने दुश्मन को मारने का संकल्प लिया और अपने सेनापति (जिले के मालिक) को कहा  कि अपने सभी सैनिकों को इस अदृश्य दुश्मन से लडने के लिए जंग के मैदान में भेजो, ऐसा ही हुआ, सब योद्धा दुश्मन से लडने के लिए मैदान में आ गए, सभी योद्धा बहुत मेहनती थे सिर्फ़ एक को छोड़कर, वह बहुत आलसी था, दुश्मन ऐसा था कि राज्य की प्रजा के अंदर छिपता था, तो योद्धाओं द्वारा प्रजा को जागरूक किया जा रहा था कि हमारे राज्य में ऐसा दुश्मन आया है जो आपके बीच छुपकर आपको और हम सब को मार रहा है। लेकिन आलसी सैनिक अपनी लड़ाई जमीनी स्तर पर लड़े बिना सोता सोता सेनापति को कहता था हम अपने इलाके में दुश्मन पर भारी हैं। सेनापति सच मानता रहा, लेकिन एक दिन उस सैनिक के इलाके से एक पागल गुजरा तो उसने देखा कि यहां पर बड़ी संख्या में प्रजा (लोग) इकट्ठी हो रही है उस पागल ने सोचा कि इतनी प्रजा के बीच हमारे राज्य का दुश्मन छुपा हो सकता है। उस पागल को चिंता हुई जैसे ही वो दो कदम आगे बढ़ा तो देखा कि सैनिक सो रहा है, पागल ने उसे बताया कि देखो यहां दुश्मन तो नहीं? योद्धा आलसी था उसने कहा मुझे मालूम है कि इतनी भीड़ में दुश्मन होगा, पर वो मुझसे डरता है किसी को कुछ नहीं कहेगा मुझे सोने दो। उस पागल ने सोचा कि यहां पर गांवों के गांव तबाह हो जाएंगे तो पागल दौड़ा दौड़ा राजा के पास पहुंचा। राजा ने कहा सेनापति को बताओ, वो सैनिक कौन है। जब उस पागल ने सेनापति को बताया, सेनापति को गुस्सा आया और कहा कि आलसी सैनिक के साथियों के पास मेरा संदेश भेज दो की अगर इस पागल की बात सच निकली तो मैं या राजा उसे (आलसी सैनिक) दण्डित करेंगे। जैसे ही यह संदेश आलसी सैनिक को मिला तो वो फट से जागा और भीड़ वाली जगह पहुंचा लेकिन उस वक्त तक वहां से भीड़ और दुश्मन दोनों निकल गए। कुछ भीड़ बची थी उसे भी तित्तर बित्तर करके वहां जाके खड़ा हो गया, और अपने सेनापति तक वापिस संदेश पहुंचाया की मेरे इलाके में मेरे होते हुए दुश्मन आ जाए ये हो नहीं सकता। उसने कहा सेनापति ये देखो यहां दुश्मन नहीं है मैं बहुत महान हूं। उस आलसी को ये नहीं मालूम कि दुश्मन ने उस भीड़ में घुसकर अपना काम कर दिया है अगर अब उस आलसी सैनिक के इलाके में प्रजा को दुश्मन मारेगा तो उस आलसी का कुछ नहीं जाएगा, जाएगा तो प्रजा का या राजा का!!! 

इस कहानी से आपको सीख लेना चाहिए कि:-👇

1. किसी भी टीम के सभी खिलाड़ियों की मेहनत को एक आलसी खिलाड़ी की वजह से जीत नहीं मिलती ।

2. आलसी आदमी या सैनिक से अच्छा एक पागल होता है कम से कम वो सोता तो नहीं।

3. भीड़ या आम लोग एक दृश्य या अदृश्य दुश्मन को नहीं मार सकते इसलिए सेना की जरूरत होती है।

4. आप समाज व लोगों को धोखा देकर महान नहीं बन सकते, आपका कर्तव्य ही आपको महान बनाता है।

लेखक ✍️ पागल सुंदरपुरीया

9649617982


Wednesday, 5 May 2021

आखिर कोरोना महामारी को लेकर हम इतने लापरवाह क्यों?

कोरोना महामारी की दूसरी लहर जब से हमारे देश में आयी है तब से इसने अपना भयानक रूप धारण कर रखा है, क्यूंकि हमने इसे गंभीरता से नहीं लिया और सावधानियां बरतनी ही छोड़ दी थी जिसकी वजह से चारों तरफ लोग इसकी चपेट में आ गए, और आ भी रहें हैं। आक्सीजन व दवाइयों की भारी कमी के चलते अपने  अपनो के हाथों में तड़प कर मर रहे है , शमशानों में जलती चिताएं बहुत कुछ बयां कर रही है। जिनके अपने परिवार को छोड़कर जा रहें हैं उनका दर्द महसूस करते हुए भी मेरी कलम से लिखा नहीं जा रहा, देश में जो महामारी के कारण हो रहा है  हमने इसकी कभी कल्पना भी नहीं की थी, लेकिन इसका जिम्मेदार कौन? यह सवाल आते ही हम सारी जिम्मेदारी सरकार के ऊपर डाल देते हैं, ठीक बात है सरकार हमने इसलिए ही चुनी है कि वो हमें अच्छी सुविधाएं दे, यह बात भी सच है कि सरकार हमें लावारिस छोड़कर पांच राज्यों चुनावों व्यस्त रही और उन पांच राज्यों में भी अब हालात पहले के मुकाबले खतरनाक हो गए हैं , इसलिए पहली लापरवाही सरकार की है। लेकिन एक बात याद करो पहली लहर आने के बाद से सभी स्वास्थ्य विशेषज्ञ, सरकार हमें यह कहकर चताती रही है कि सतर्क रहो, आपकी सावधानी ही आपका कोरोना से बचाव करेगी, बेवजह घरों से ना निकलें, लेकिन हमने शुरू में तो सरकार के नियमो का पालन किया और जैसे ही सोशल मीडिया पर कोरोना को लेकर झूठे दावे आने लगे, हम उन्हें पढ़ सुनकर सच मानने लगे व शेयर भी करने लगे, झूठे दावे सोशल मीडिया पर वायरल होते ही हमारी अच्छी आदतें छूटती गई, हमने ऐसे दावों को सोशल मीडिया पर शेयर करके समाज को उजाड़ने का काम किया है, आज भी सोशल नेटवर्क पर सैंकड़ों ऐसे संदेश घूम रहे हैं जो इस महामारी को बल देकर समाज को बर्बाद कर रहें हैं, यह दूसरी लापरवाही हमारी खुद की है। अभी भी जाग जाओ, ऐसे संदेश समाज व सोशल नेटवर्क पर मत शेयर करो, जो स्तिथि को बिगाड़ रहे हैं। (और प्रशासन को भी चाहिए इसे गंभीरता से लेकर सख्त कार्रवाई करे)  क्यूंकि एक तरफ कोरोना योद्धा अपनी जान जोखिम में डालकर हमारी सेवा में जुटे हुए हैं, हमें जागरूक करके हमारा जीवन बचा रहें दूसरी और कुछ लोग झूठे दावों पर विश्वास करके नियमों की धज्जियां उड़ाने के साथ साथ इन योद्धाओं से बहस कर रहें हैं, आज अगर कोरोना की दूसरी भयानक लहर में भी मरीजों के ठीक होने का आंकड़ा ठीक इसलिए कि वेक्सिनेशन ने रोगप्रतिरधक क्षमता में इज़ाफ़ा किया है, वेसिनेशन को लेकर भी बहुत झूठी  अफ़वाहें फैलाई गई थी जिसके कारण आज भी बड़ी संख्या में पैंतालीस साल से ऊपर वाले लोगों ने टीका नहीं लगवाया, कृपा करके खुद को और परिवार को बचाने के लिए बेवजह घरों से बाहर ना निकलें, अगर मजबूरी में जाना पड़े तो नाक और मुंह पर मास्क आवश्यक होना चाहिए, हाथों को धोए बिना अपने आंख, नाक, मुंह को ना छुएं, किसी से मिलते वक्त उचित दूरी रखें, जब भी फेरी वाले या होम डिलीवरी वाले सब्जी, दूध या समान देने आएं तो उन्हें कोरोना से बचने के नियमों को अपनाने का कहें, एक बात और इन सभी से परिवार का एक ही व्यक्ति सतर्क होकर लेन देन करे।

"सावधानी हटी तो दुर्घटना घटी" इस बात का ध्यान सड़क पर नहीं अब हर वक्त रखना होगा। आपका भविष्य मंगलमय हो यहीं मेरी कामना है।

लेखक पागल सुंदरपुरीया

9649617982

Tuesday, 4 May 2021

ਬਾਪੂ ਤੇਰਾ ਪੁੱਤ ਲਾਡਲਾ

ਜਦੋਂ ਤੇਰੀ ਯਾਦ ਆਵੇ 

ਹੰਜੂ ਅੱਖੀਆਂ ਚੋਂ ਤਿਪ ਤਿਪ ਚੋਵੇ

ਬਾਪੂ ਤੇਰਾ ਪੁੱਤ ਲਾਡਲਾ

ਕੱਲਾ ਬੈਠਕੇ ਖੇਤਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਰੋਵੇ

ਤੇਰੇ ਵਾਂਗੂੰ ਖੇਤ ਬਾਪੂ ਜੀ

ਮੇਰੇ ਮੁੱਖ ਉਤੋਂ ਹੰਜੂਆਂ ਨੂੰ ਧੋਵੇ

ਬਾਪੂ ਤੇਰਾ ਪੁੱਤ ਲਾਡਲਾ

ਕੱਲਾ ਬੈਠਕੇ ਖੇਤਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਰੋਵੇ


ਬਲਦਾਂ ਨੂੰ ਜੋੜ ਤੇਰਾ ਸਾਜਰੇ ਜੇ ਹਲ ਵਾਉਣ

ਬਾਪੂ ਭੁੱਲਦਾ ਨਹੀਂ ਜਾਣਾ ਤੇਰਾ ਖੇਤ ਨੂੰ,

ਤੱਤਾ ਤੱਤਾ ਹੱਟ ਹੱਟ ਆਉਂਦੀਆਂ ਸੀ ਵਾਜਾਂ ਓਦੋਂ

ਚੀਰਦਾ ਸੀ ਜਦੋਂ ਹਲ ਰੇਤ ਨੂੰ,

ਬਲਦਾਂ ਦੇ ਟੱਲੀਆਂ ਦੀ ਟਨ ਟਨ ਵਿੱਚ

ਮੇਰਾ ਮੱਲੋ ਮੱਲੀ ਝੱਲਾ ਦਿੱਲ ਖੋਵੇ

ਬਾਪੂ ਤੇਰਾ ਪੁੱਤ ਲਾਡਲਾ

ਕੱਲਾ ਬੈਠਕੇ ਖੇਤਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਰੋਵੇ


ਖਾਲ ਬੰਨੇ ਵੱਟਾਂ ਬਾਪੂ ਸੱਭ ਸੁੰਨੇ ਸੁੰਨੇ ਜਾਪਦੇ ਨੇ

ਹੋਈ ਚਾਰੇ ਪਈ ਸੁੰਨਸਾਨ

ਟਾਲ੍ਹੀ ਬੇਰੀ ਕਿੱਕਰਾਂ ਤੋਂ ਉੱਡੀਆਂ ਬਹਾਰਾਂ ਜਿਵੇਂ

ਬਰਖਾ ਤੋਂ ਬਿਨਾ ਰੇਗਿਸਤਾਨ

ਪਹਿਲਾ ਵਾਂਗੂੰ ਪੰਛੀਆਂ ਦੇ ਗੀਤਾਂ ਨਾਲ

ਮੇਰੇ ਗੀਤਾਂ ਦਾ ਮਲਾਪ ਵੀ ਨਾ ਹੋਵੇ

ਬਾਪੂ ਤੇਰਾ ਪੁੱਤ ਲਾਡਲਾ

ਕੱਲਾ ਬੈਠਕੇ ਖੇਤਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਰੋਵੇ


ਤੇਰੇ ਦਿੱਤੇ ਖੇਤਾਂ ਸਹਾਰੇ ਬਾਪੂ ਜੱਗ ਉੱਤੇ

ਨਾਮ ਤੇਰਾ ਜਿਉਂਦਾ ਰਹੇਗਾ

ਕੀਤੀ ਸੀ ਕਮਾਈ ਪਰ ਵੇਲਾ ਓਦੋਂ ਮਾੜਾ ਸੀ

ਦੇਖਲੀਂ ਜ਼ਮਾਨਾ ਸਦਾ ਕਹੇਗਾ

ਸੁੰਦਰਪੁਰੇ ਵਿੱਚ ਬਾਪੂ ਪਰਿਵਾਰ ਤੇਰਾ ਚੇਤੇ ਕਰੇ

ਤੇ ਬੈਠਾ ਪਾਗਲ ਵੀ ਯਾਦਾਂ ਨੂੰ ਪਰੋਵੇ

ਬਾਪੂ ਤੇਰਾ ਪੁੱਤ ਲਾਡਲਾ

ਕੱਲਾ ਬੈਠਕੇ ਖੇਤਾਂ ਦੇ ਵਿੱਚ ਰੋਵੇ


✍️ਪਾਗਲ ਸੁੰਦਰਪੁਰੀਆ

Sunday, 2 May 2021

योद्धा

रोज की तरह मैं शाम को अपना लेखन कार्य कर रहा था और साथ ही जिले में बढ़ते कोरोना मामलों को लेकर चिंतित था। मेरी पंचायत में दो तीन कोरोना के मरीज़ होने की खबर भी मुझे मिली थी, खबर सही है या गलत इसकी पुष्टि जरूरी थी क्यूंकि कोरोना महामारी के जैसे ही एक और बीमारी है, जिसका नाम डर है जो झूठी अफ़वाहों के कारण दिल के कमजोर लोगों के लिए बहुत खतरनाक है लेकिन हां, बचा दोनों बीमारियों से जा सकता है केवल सतर्क होकर, इसलिए इसकी पड़ताल जरूरी थी, जब तक मेरे लेखन कार्य पूरा हुआ देर काफी हो चुकी थी, 1 अप्रैल की रात लगभग 8 बजे का वक्त था, मैंने गांव से बाहर नेटवर्क में जाकर अपने सूत्रों से जिले की प्रत्येक ग्राम पंचायत में स्थापित कोरोना कंट्रोल रूम के संपर्क मंगवाए तो उसमें पता चला कि कंट्रोल रूम में अधिकारी 24 घण्टे सेवाएं दे रहे, श्रीकरणपुर तहसील के संपर्क पहुंचने में काफी समय लगा जिसके कारण 9 बजे का समय हो गया मैंने पहले सोचा था कि सुबह फोन पर बात करेंगे, फिर सोचा कंट्रोल रूम में 24 घण्टे की सेवा है फोन लगाकर देखते हैं अगर बात हुई तो जानकारी ले लेंगे नहीं तो फिर सुबह, बात मैंने अपनी पंचायत में करनी थीं, मैंने नम्बर लगाया जब तक तीसरी घंटी बजती उससे पहले हैलो कि आवाज आयी, तो मैंने कहा श्रीमान आप राजेश जी, उन्होंने कहा हां जी बोलिए, मैंने कहा मैं सुंदरपुरीया पागल बात कर रहा हूं, उन्होंने कहा जी, मैंने पूछा अपनी पंचायत में कोरोना के मरीज़ है या नहीं? उन्होंने कहा नहीं! मैंने उनको कहा कि    गांव में से मेरे पास खबर आयी थीं कि अपनी पंचायत में दो तीन मरीज़ है ? उन्होंने कहा नहीं जी मेरे पास रजिस्टर में कोई नाम नहीं! उन्होंने बहुत ही शालीनता से बात की, मैंने उनको धन्यवाद किया कि आप मुश्किल दौर में अपनी सेवाएं दे रहे हो, मैंने फोन काट दिया। और आर्टिकल लिखना शुरू कर दिया थोड़ी देर बाद फिर एक फोन आया तो उन्होंने कहा कहां से बोल रहे हो? मैंने कहा जी आप? मैं 10 ओ तेजेवाला से कंट्रोल रूम प्रभारी आपका फोन आया था, राजेश जी से बात हुई थी, मैंने पलटकर कहा.. जी! मैंने कहा जी मैंने मोहलां कंट्रोल रूम में फोन किया था तो उन्होंने कहा आपका नम्बर गलत लग गया, मैंने उनको जी मेरी नज़र से सही नंबर का गर्भपात हो गया (क्यूंकि मैंने चलते चलते नम्बर देखा था) मैंने उनसे क्षमा मांगी और मुझे सही किया इस बात के लिए उनको धन्यवाद किया और उनके उज्वल भविष्य की कामना की। सच बताऊं मेरे अनुभव में ऐसा पहली बार हो रहा , की आप किसी अधिकारी को फोन करो और वो इतनी जल्दी फोन उठा ले और दूसरा की इतनी शालीनता से बात करे वो भी रात के समय में, इसका कारण तो जरूर है सोचकर हैरान था। लेकिन  मेरी चिंता का समाधान नहीं हुआ था, तो मैंने मोहलां स्थित कंट्रोल रूम में फोन किया, दो घंटी बजी और फोन उठा, मैंने अपना नाम बताया और पूछा श्रीमान आप मोहलां से? उन्होंने कहा जी! मैंने उनसे पूछा कि अपनी पंचायत में कितने मरीज़ हैं? तो उन्होंने कहा जी तीन हैं! वो अपने घरों में आइसोलेट हैं, मैंने फिर पूछा जी उनमें सिर्फ़ लक्षण हैं या रिपोर्ट पॉजिटिव है? उन्होंने कहा जी इस बारे में मेरे पास कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं हमारे पास जो नाम आते हैं हम उनका ख्याल रखते हैं! मैंने उन्हें बताया कि यह जानने के लिए फोन किया कि ये अफवाह या सच ? वो मुझसे इसी विषय पर विचार करते रहे तो मैंने उनसे बातों बातों में पूछा कि श्रीमान आप कहां रहते हो? उन्होंने कहा श्री गंगानगर! मैंने कहा आप रात को यहीं रहोगे? उनका जवाब था नहीं? मेरी पारी अब खत्म होने वाली है। अब घर जाऊंगा,, मैंने कहा रात को जाना मुश्किल होगा? उन्होंने कहा नहीं? पूरा देश मुश्किल में हैं हमें अपना कर्तव्य निभाना चाहिए। मैंने उनका नाम भी नहीं पूछा था उनकी बातें मुझे विचलित कर रही थी उनके बोलने का लहजा, मिठास, मैंने उनका नाम संपर्क फरिस्त में देखा, नाम था जसवाल सिंह मैं पहले कभी भी इनसे नहीं मिला था, ना ही कभी इनका नाम सुना था, समय 10 बजे से काफी ऊपर हो गया था, मैंने पूरी जानकारी ली और उनका धन्यवाद किया, इन सभी तीनों अधिकारियों ने मेरी समझ को बौना कर दिया, मैंने जिस विषय पर लेख लिखना था वो विषय अब पीछे रह चुका था  मेरे लिए इन सभी अधिकारियों के बर्ताव को समझना था। और था भी कठिन, क्यूंकि मैं लगभग सभी विभागों के अधिकारियों से बात करता रहता हूं लेकिन यह एक अलग अनुभव था, सोचा इसका कोई तो कारण है, एक कारण यह महामारी अधिनियम में नौकरी जाने का खतरा, मेरे तर्क ने यह बात झूठी साबित कर दी, क्यूंकि अगर यह बात सत्य होती तो वे सिर्फ़ इतनी बात करते कि यह यह सूचना है मुझे बताते और फोन काट देते मुझसे समाजिक विचार नहीं करते। दूसरा कारण मैंने ये पाया की वो रात अपने घर से दूर दूसरे गांव में इतने बड़े स्कूल में अकेले होंगे इसलिए मुझसे बातें करके अपना वक्त गुजार रहे होंगे, मेरे तर्क ने यह बात भी झूठी करदी, अगर वो अपने आप को सुनसान स्कूल में अकेला महसूस कर रहे होंगे तो वो इतनी देर बात मुझसे नहीं अपने परिवार से करते।
तीसरा कारण जो बड़ा कारण यह सभी अधिकारी अध्यापक थे। अध्यापक पढ़े लिखे हैं तो दूसरे अधिकारी कोनसा अनपढ़ होते हैं? यह बात सत्य है। लेकिन एक अध्यापक में किसी दूसरे विभाग के अधिकारी से सहनशीलता ज्यादा होती है इसलिए वो हर प्रकार के बच्चे को शिक्षा दे देते, अध्यापक दूसरे अधिकारियों से ज्यादा बुद्धिमान होते है, ( क्योंकि ज्यादातर किताबें अध्यापकों ने लिखी हैं अलग अलग विषय पर, और गुरु ग्रन्थ साहिब जी का टीका भी अध्यापक ने ही लिखा है प्रोफ़ेसर ज्ञानी साहिब सिंह जी ने गुरबाणी दर्पण लिखा है) इसलिए उन्होंने शालीनता से बात करते हुए मुझे जानकारी दी एवं महामारी में समाज को सतर्क रहने पर इतनी देर रात तक बात की। मैं इन योद्धाओं जैसे सभी योद्धाओं को दिल से सलाम करता हूं। इनके बारे में आपको एक और बात बताऊं कि जैसे फौजी को जंग से लडने से पहले हर प्रकार का प्रशिक्षण दिया जाता है, डॉक्टर, नर्स भी इस जंग में अपने प्रशिक्षण के अनुरूप कार्य कर रहें हैं परन्तु अध्यापक और पंचायत कर्मचारी अपने प्रशिक्षण से हटकर इस महामारी के जंग में योद्धा बनकर अपनी भूमिका बखूबी निभा रहें है। देश व समाज इनकी सेवा को हमेशा याद रखेगा। आज सभी कोरोना योद्धाओं व उनके परिवार के उज्वल भविष्य की कामना करता हूं। पाठकों के लिए एक बात कहता हूं कि मैं बुराई की आलोचनाएं अक्सर करता हूं, जरूरी यह भी है अच्छाई की सराहना भी करनी चाहिए। 
इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है 👇
1. अच्छा व्यक्तित्व आपकी छवि को बड़ा करता है और आपको समाज से इज्जत दिलवाता है।
2. आपके शब्द आपका सबसे बड़ा हथियार होते हैं बस इस्तेमाल करने की कला सीख लो।
3. ज्ञान और हिम्मत का जोड़ हो तो आपको किसी भी कार्य को करने में कभी कठिनाई नहीं होती।
धन्यवाद 
लेखक पागल सुंदरपुरीया
9649617982 

ਫੁੱਫੜ

ਭੂਆ ਤੈਨੂੰ ਵਿਆਈ, ਤੇ ਤਾਹੀਂ ਤੂੰ ਬਣਿਆ ਫੁੱਫੜ, ਬਾਪੂ ਬੇਬੇ ਦੱਸਿਆ, ਪਿੱਛੋ ਤਾਹੀਂ ਭੂਆ,ਫੁੱਫੜ, ਬਲੀ ਚੜੇ ਅਸੀਂ ਕੁੱਕੜ, ਤੂੰ ਫੁੱਫੜ ਦਾ ਫੁੱਫੜ.. ਗੱਲ ਕੱਟ ਜਾਵੇਂ ਮੇਰਾ...