उसने छोड़ा जो मुझको, शायद कोई मेरा कसूर था ..
उसने अच्छा किया या बुरा, वो फैसला मुझे मंजूर था ।
मुझसे भिन्न अब उसकी राहें होंगी , ये सोचकर मैं रोता नहीं था,
लौटके आएगी मेरे पास वो, मैं उसके इंतजार में सोता नहीं था,
हम दो को एक किया था जिसने, मुझे उस प्यार का गरुर था..
उसने अच्छा किया या बुरा , वो फैसला मुझे मंजूर था ।
उसके साथ बिताए हसीन लम्हे, वो गुज़रा हुआ कल हो गए,
दिल में बगीचे थे सुहाने फूलों के, वो बंजर हुआ थल हो गए,
बरसता था अक्सर बादलों की तरह, जो उसका सरुर था..
उसने अच्छा किया या बुरा , वो फैसला मुझे मंजूर था ।
याद तो मेरी भी उसे आती होगी, दिल बार बार यहीं कहता है,
फिर पूछा क्यूं नहीं उसने, "पागल" किस हालात में कहां रहता है,
कोशिश नहीं की होगी इसलिए, मेरा गांव उसके शहर से दूर था..
उसने अच्छा किया या बुरा , वो फैसला मुझे मंजूर था ।
✍️पागल